एक फूल जब है खिलता
कितना शीतल इतना कोमल
सबको अपनी मनमोहक सुगंध से
प्रसन्नचित्त वो करता
हँसता खेलता मनमर्जियाँ करता
पौधा गर्व से सिर उठाता
ये फूल है मेरा, अभिमान वो करता
पूरा बगीचा खिल उठाता
नाचता-गाता, संगीत की महफिल होती
फिर अचानक एक दिन
सब शांत, मातम-सा छा जाता
माली फूल ले गया
सब बस बेबसी में देखते रह गए
पहले तो उस फूल को खूब सजाया गया
महंगें दाम में बेचा गया
पर जब उसकी सुगंध ख़त्म हो गई
उसे फेक दिया
और वो कोमल पुष्प
कुचल कुचल कर मर गया ।
© ईरा सिंह
आपको मेरी ये कविता कैसी लगी मुझे कमेंट में जरूर बताना । और क्या आपको समझ में आया की यहां मैंने फूल किसको कहा है ? इसको पढ़ने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद ।
Thank you!!!
To read my more poems in Hindi Click here
Note: if you want to translate it, Google translator is available on my website page 😊